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Previousएक शोध में पता चला है कि टाइप वन मधुमेह को नियंत्रित करने में उच्च रक्तचाप की दवा कारगर हो सकती है। जरनल ऑफ क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार यह दवा मधुमेह के खतरे को 60 प्रतिशत तक कम कर सकती है।
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो एन्सशट्ज मेडिकल कैंपस के इस शोध में बताया गया है कि मिथाइलडोपा नाम की दवा यह कमाल करने में सक्षम है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसका इस्तेमाल पिछले 50 वर्षों से गर्भवती महिलाओं और बच्चों में उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में किया जा रहा है।
प्रमुख शोधकर्ता आओरॉन मिशेल्स ने इसे एक महत्वपूर्ण खोज बताया। उन्होंने कहा कि इस दवा के जरिए टाइप वन डायबिटीय के खतरे को 60 फीसदी तक कम किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनिवार्य दवाओं की सूची में इसका नाम शामिल है। अनेक दवाओं का इस्तेमाल केवल एक ही बीमारी में किया जाता है लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि यह बिल्कुल भिन्न परिस्थिति में भी कारगर है।
टाइप वन मधुमेह होने के खतरे का सामना कर रहे 60 प्रतिशत लोगों में डीक्यू 8 अणु होता है जो मधुमेह होने की संभावना बढ़ा देता है। शोधकर्ताओं का मनना है कि अगर वे अणु को बाधित कर दें तो टाइप वन मधुमेह को भी होने से रोका जा सकता है।
इस अनुसंधान में कम से कम 10 वर्ष का समय लगा। अनुसंधानकर्ताओं ने सुपर कम्प्यूटर में हजारों दवाओं का परीक्षण करने के बाद पाया कि मिथाइलडोपा ने न केवल डीक्यू8 को बाधित किया बल्कि अन्य कोशिकाओं की प्रतिरोधी प्रणाली को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।
यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें तंत्रिका तंत्र उन कोशिकाओं को नष्ट करने लगता है जो पैंक्रियाज में इंसुलिन का उत्पादन करते हैं। इससे इन्हें जीवित रहने के लिए इंसुलिन के इस्तेमाल की आवश्यकता पड़ती है।