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नई दिल्ली। सरकार ने प्राइवेट नौकरी करने वालों को तोहफा दिया है। लोकसभा में ग्रेच्युटी भुगतान संशोधन विधेयक 2017 पास हो गया जिसके बाद 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी टैक्स फ्री हो जाएगी। पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल के तहत टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने का प्रस्ताव था और अब इसके कानून बनने का रास्ता साफ हो गया है।
फिलहाल किसी कंपनी में काम करने के दौरान कर्मचारी की सैलरी से एक हिस्सा ग्रेच्युटी के तौर पर काटा जाता है और कंपनी में 5 साल पूरा होने के बाद नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को इकट्ठा हुई रकम ग्रेच्युटी के तौर पर मिलती है। पहले के कानून के मुताबिक कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये थी जो आज के संशोधन के बाद बढ़कर 20 लाख रुपये हो जाएगी। इससे पहले 10 लाख रुपये की टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा 2010 में तय की गई थी।
आज लोकसभा में इस विधेयक को पेश करने के दौरान श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि इस विधेयक के पास होने से निजी कर्मचारियों के लिए टैक्स फ्री ग्रेच्युटी जो पहले 10 लाख रुपये हुआ करती थी वो बढ़कर 20 लाख रुपये हो जाएगी।
लोकसभा में विपक्ष ने पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल को पास कराने से पहले चर्चा और मत विभाजन की मांग की थी लेकिन इस बिल को बिना चर्चा कराए पास कर दिया गया जिसके चलते सदन में काफी हंगामा भी हुआ। ग्रेच्युटी देने के लिए किसी कंपनी में कम से कम 10 कर्मचारी होने चाहिए और कर्मचारी ने संस्थान में कम से कम 5 साल नौकरी की हो तभी वो ग्रेच्युटी का हकदार हो सकता है।
ग्रेच्युटी का कैल्क्युलेशन एक साधारण नियम के तहत किया जाता है। जिस कर्मचारी को ग्रेच्युटी कानून के तहत कवर किया जाता है तो उसके 15 दिनों के वेतन को जितने साल का टेन्योर उसने दफ्तर में निकाला है उससे गुणा करके गेच्युटी की गणना की जाती है। अंतिम बेसिक सैलरी में महंगाई भत्ता भी शामिल है।
(15Xअंतिम बेसिक सैलरीXकामकाज के साल) भाग 26
यानी अगर आपकी बेसिक सैलरी 25000 रुपए है और आप कंपनी में 10 साल बाद नौकरी छोड़ते हैं, तो आपको मिलने वाली ग्रच्युटी होगी (15X25000X10) X 26 = 1 लाख 45 हजार 230 रुपए