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Nextमेरठ। देश की पहली और स्टार डिस्कस थ्रोअर महिला खिलाड़ी सीमा पूनिया कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक से चूक गईं। उन्होंने लगातार चौथे कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीतकर साबित कर दिया है कि उनमें अभी काफी खेल बाकी है। कंकरखेड़ा निवासी सीमा पूनिया ने पटियाला में आयोजित सीनियर फेडरेशन एथलेटिक्स स्पर्धा में रिकॉर्ड 61.05 मीटर दूरी नापकर कॉमनवेल्थ का टिकट हासिल किया था। कॉमनवेल्थ गेम्स में वह अपना यह प्रदर्शन कायम नहीं रख सकीं और पहले ही प्रयास में 60.41 मीटर की दूरी नापकर रजत पदक की दावेदार बनीं। हालांकि सीमा इस प्रतिस्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली ऑस्ट्रेलिया की डालनी स्टीवंस के 68.28 मीटर के नए गेम्स रिकॉर्ड से काफी पीछे रहीं। सीमा ने रजत पदक जीतने की दूरी पहले ही प्रयास में हासिल कर ली थी लेकिन बाद के प्रयासों में उसी दूरी को पार नही कर सकीं। दूसरी बार उन्होंने 59.57 मीटर दूरी नापी। तीसरा फाउल फेकने के बाद चौथे प्रयास में 58.54 मीटर फेंका। पांचवां फिर फाउल हो गया और छठे प्रयास में भी वे 58.90 मीटर से आगे नही बढ़ सकीं।
चौथे कॉमनवेल्थ गेम्स में जाने से पूर्व सीमा ने स्वर्ण पदक को लक्ष्य बनाया था। उन्होंने इस गेम्स में भी पदक जीतकर लौटने का वादा किया था। उनका चौथा कॉमनवेल्थ गेम्स अंतिम होगा या नही? जवाब में सीमा कहती हैं, गेम्स में प्रदर्शन और उनमें शेष बचे खेल का मूल्यांकन करने के बाद वह इस बात का निर्णय लेंगी। सीमा पूनिया ने अपने 16 साल पहले के प्रदर्शन को इस गेम्स में भी कायम रखा। इससे पहले सीमा ने 2006 मेलबर्न में रजत, 2010 दिल्ली में कांस्य और 2014 ग्लैस्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता था। वहीं 2014 के इंचियोन एशियन गेम्स में भी 61.03 मीटर दूरी नापते हुए स्वर्ण पदक जीता था। सीमा का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ 2004 में 64.84 मीटर रहा, जो लंबे समय तक नेशनल रिकॉर्ड रहा।
कामनवेल्थ गेम्स में कुश्ती में आज दिव्या काकरान का मुकाबला है। 19 साल की दिव्या काकरान की 68 किलो भार वर्ग में मजबूत दावेदारी है। महिला टीम की कोच अलका तोमर ने बताया कि महिला टीम का प्रदर्शन और तैयारी बेहतर है। गुरुवार को कुश्ती में महिला टीम ने दो मेडल और पुरुष वर्ग में दो मेडल मिलने से सभी का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है।