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समाज के उत्थान के लिए यदि मन में कुछ करने की उत्कंठा हो तो उसके लिए पढ़ाई आड़े नहीं आती। बस कुछ करने का जुनून और दृढ़निश्चय की आवश्यकता है। ऐसा जज्बा नजर आया केरल के जयप्रकाश में जिन्होंने 12वीं तक पढ़े होने के बावजूद ऐसा कारनामा कर दिया कि पूरा देश इसको देखकर हतप्रभ रह गया।
जी हां, हम बात कर रहे हैं जयप्रकाश के उस उत्पाद की जिसने समाज में न केवल ऊर्जा संरक्षण का संदेश दिया बल्कि बच्चों और महिलाओं के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। हम बात कर रह हैं जयप्रकाश के द्वारा आविष्कृत स्टोव जिसे ईको—फ्रेंडली स्टोव का नाम दिया गया है। जयप्रकाश के इस ईको—फ्रेंडली स्टोव ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। जयप्रकाश अभी तक 8 हजार स्टोव्स बेच चुके हैं। समाज के लिए लाभप्रद इस प्रयोग के लिए जयप्रकाश को 1998 में केरल के ऊर्जा प्रबंधन केंद्र की ओर से ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार मिला। 2012 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन की ओर से नैशनल इनोवेशन अवॉर्ड से नवाजा गया।
जयप्रकाश ने बताया कि जब वह छोटे थे, तब उनकी मां कोयंबटूर से स्टोव खरीदकर लाती थी और बेचती थीं। जयप्रकाश इस काम में अपनी मां का हाथ बंटाया करते थे। चूल्हे से निकलने वाला धुंआ, महिलाओं की सेहत के लिए खतरनाक होता है और यह चिंता जयप्रकाश को अक्सर सताया करती थी। इसलिए उन्होंने एक छोटा सा पाइप स्टोव के पीछे लगाने के बारे में सोचा, जो एक चिमनी की तरह काम करे। जयप्रकाश को आज भी वह समय याद है, जब उन्हें शुरूआती सफलता मिली और उन्होंने अपने आइडिया पर और अधिक काम करना शुरू किया। चूल्हे में पाइप लगाना उनका पहला सफल प्रयोग नहीं था। इससे पहले भी वह कई ऐसे प्रयोग कर चुके थे। उन्होंने वजन उठाने के लिए एक चरखी बनायी थी। इसके अलावा वह एक छोटी सी खिलौनी वाली ऑटोमैटिक मोटर बोट भी बना चुके थे। जयप्रकाश स्कूल में होने वाले साइंस एग्जिबिशन्स में भी हिस्सा लेते रहते थे। 12वीं के बाद उन्हें आर्थिक कारणों से पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी।
जयप्रकाश स्टोव के आइडिया पर काम कर ही रहे थे कि उन्हें एजेंसी फॉर नॉन-कन्वेन्शनल एनर्जी ऐंड रूरल टेक्नॉलजी (एएनईआरटी) के साथ जुड़ने का मौका मिला। एजेंसी सोलर एनर्जी पर 10 दिनों का ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित करा रही थी। इस मौके से जयप्रकाश के प्रयोगों को बहुत फायदा हुआ। एक स्थानीय अखबार में खबर छपी की कि हॉस्पिटल से निकलने वाली गंदगी को खेतों में फेंका जा रहा है। जानकारी मिलने के बाद जयप्रकाश ने हॉस्पिटल मैनेजर से संपर्क किया और तय हुआ कि जयप्रकाश को 20 हजार रुपए दिए जाएंगे और उन्हें हॉस्पिटल की गंदगी जलाने के लिए एक स्टोव बनाना होगा। उन्होंने कम्युनिटी स्टोव बनाया और वह कारगर भी रहा। लेकिन अचानक से जयप्रकाश और उनके साथियों ने पाया कि स्टोव की चिमनी के पास से आग की लपट उठ रही है। इस बारे में जयप्रकाश ने विशेषज्ञों से राय लेना जरूरी समझा। एएनईआरटी के तत्कालीन निदेशक आरएनजी मेनन ने जयप्रकाश को गैसीफिकेशन और कम्प्लीट कम्बश्चन की प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
जयप्रकाश के ईको-फ्रेंडली स्टोव की जांच हुई। मुंडुर स्थित इन्टीग्रेटेड रूरल टेक्नोलॉजी सेंटर (केरल) द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, जब जलाने के लिए लकड़ी का इस्तेमाल किया जाए, तब इस स्टोव की कम्बश्चन एफिसिएंसी होती है 36.67 प्रतिशत; जब नारियल के खोल को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाए, तब होती है 29.48 प्रतिशत। जयप्रकाश ने अपनी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए बड़े-बड़े कम्युनिटी स्टोव्स भी बनाने शुरू किए। एएनईआरटी के विशेषज्ञों की टीम ने पाया कि कोझिकोड में एक होटल है, जहां पर जयप्रकाश द्वारा बनाए गए कम्युनिटी स्टोव की मदद से सिर्फ 75 नारियल खोलों (लागत लगभग 75 रुपए) को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल करके 40किलो तक चावल पकाया जा रहा है। जबकि इससे पहले इस काम के लिए 10 किलो एलपीजी खर्च होती थी, जिसकी लागत 4 हजार रुपए तक आती थी।
दोनों ही तरह के स्टोव्स का पेटेंट जयप्रकाश के पास है। इसके अलावा वह जेपी टेक नाम से एक क्लीन एनर्जी स्टार्टअप भी चला रहे हैं और ईको-फ्रेंडली स्टोव्स के बड़े ऑर्डर ले रहे हैं। जयप्रकाश ने अभी तक केरल के घरों में 7,500 ईको-फ्रेंडली स्टोव्स पहुंचाए हैं। इतना ही नहीं, राज्य के सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील के लिए जयप्रकाश के बनाए 200 कम्युनिटी स्टोव्स इस्तेमाल हो रहे हैं। इनकी सप्लाई यूनाइटेड नेशन्स डिवेलपमेंट फंड के सहयोग से की गई। तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक से जयप्रकाश को लगातार ऑर्डर मिल रहे हैं और वह अभी तक 1 हजार कम्युनिटी स्टोव्स की बिक्री कर चुके हैं।
किफायती हैं ये स्टोव्स
जयप्रकाश की कोयंबटूर स्थित छोटी सी फैक्ट्री के जरिए 6-7 परिवारों को रोजगार मिल रह है और जयप्रकाश इस बात से बेहद खुश हैं। जयप्रकाश के स्टोव्स कारगर होने के साथ-साथ किफायती भी हैं। 1 किलो वाले स्टोव की कीमत है सिर्फ 4 हजार रुपए, जबकि 10 किलो वाले की कीमत है 15 हजार रुपए। सबसे बड़ा स्टोव है 100 किलो का, जिसकी कीमत है 65 हजार रुपए। जयप्रकाश अपने स्टोव की तकनीक को अभी और बेहतर करने की जुगत में हैं।