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Nextनई दिल्ली। कई बार लोग बाहर से देखने में स्वस्थ लगते हैं मगर शरीर के अंदरूनी अंग जवाब दे देते हैं। इसका पता जब तक चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इस स्थिति से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने एक ऐसी तकनीक ईजाद की है जिसकी मदद से शरीर के अंदरूनी अंगों की अवस्था का पता लगाना आसान होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक कुछ और नहीं साधारण सी मूत्र जांच है। इस जांच से शरीर की अंदरूनी उम्र और भविष्य में हो सकने वाली बीमारियों के आधार पर शेष अनुमानित उम्र का पता लगाया जा सकेगा।
चीन के नेशनल सेंटर फॉर जेरॉनटोलॉजी में हुए शोध में विशेषज्ञों ने कहा कि वैज्ञानिकों ने इनसान की मूत्र में एक तत्व 8-ओएक्सओजीएसएन की खोज की है। यह शरीर में कोशिकाओं को होने वाले नुकसान के बारे में बताता है। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यक्ति की जैविक उम्र बढ़ने के साथ ही उसकी पेशाब में यह तत्व बढ़ जाता है। इसलिए मूत्र की जांच से डॉक्टरों के लिए यह जानना आसान होगा कि किसी व्यक्ति के आंतरिक अंगों की हालत कैसी है।
विशेषज्ञों का दावा कि इस जांच से असमय मृत्यु की दर को भी कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने इस परीक्षण के लिए ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जिससे एक घंटे में 10 नमूनों की जांच की जा सकती है। हालांकि कुछ अन्य विशेषज्ञों का तर्क है कि किसी बीमारी के उभरने के लिए उम्र अकेला कारण नहीं होती है। प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर जियान पिंग शी का कहना है कि 8-ओएक्सओजीएसएन हमारे अंगों की असल तस्वीर दिखाता है। इसकी मदद से हम बढ़ती उम्र से संबंधित बीमारियों का पता लगा सकेंगे और उसका इलाज भी समय से शुरू कर सकेंगे। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए विशेषज्ञों ने दो से 90 साल के 1228 चीनी नागरिकों के आंकड़ों की जांच की। परीक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने देखा कि 21 साल या उससे अधिक उम्र के लोगों के मूत्र में 8-ओएक्सओजीएसएन का स्तर बढ़ता हुआ मिला। महिलाओं और पुरुषों में यह तत्व एक समान मिला। हालांकि रजानिवृत्ति से गुजर चुकी महिलाओं में यह तत्व अधिक मात्रा में मौजूद था।