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Previousनई दिल्ली। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा के बाद अब अन्य राजनीतिक दलों ने भी तैयारी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि सपा—बसपा ने तो सीटों के बंटवारे को लेकर ड्राफ्ट भी तैयार कर लिया है। इस कड़ी में गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान एसपी और बीएसपी पहले ही तालमेल कर चुकी हैं। अब दोनों ही पार्टियों ने ये साफ किया है कि साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी वो इस गठबंधन को जारी रखेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, एसपी और बीएसपी के बीच सीट बंटवारे का आधार 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे बनेंगे। मोटे तौर पर जो सहमति बन रही है उसके मुताबिक साल 2014 में जीती हुई सीटों के अलावा, जो दल जिस सीट पर दूसरे नंबर पर रहा है, वहां उसी दल की दावेदारी रहेगी। दोनों ही दलों ने ऐसी सीटों को चुन भी लिया है और अनौपचारिक बातचीत में रनर अप सीटों पर चुनाव लड़ने के फॉर्मूले पर सहमति बनने की संभावना से नेता इनकार नहीं कर रहे हैं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में विपक्षियों का सूपड़ा साफ कर दिया था और जो कसर बच गई थी, उसे पिछले साल (2017) हुए विधानसभा चुनावों के प्रचंड बहुमत ने पूरी कर दी थी। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद विपक्षी गोलबंदी बढ़ी लेकिन यूपी राज्यसभा सदस्यों के लिए हुए चुनाव में फिर एक बार बीजेपी ने अपनी ताकत को दिखा दिया। सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के हाथ मिलाने के बाद कांग्रेस यूपी में भले अकेली हो गई हो, लेकिन एसपी-बीएसपी ने कांग्रेस के प्रति नरम रुख दिखाया है। कहा जा रहा है कि इस गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल किया जाएगा।
एसपी और बीएसपी के हाथ मिलाने के बाद, ये संभावना जताई जा रही है कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस इनके साथ-साथ अन्य दलों को भी मिलाकर राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने की कोशिश कर सकती है। उपचुनावों के नतीजे आने के बाद सपा और बसपा ने तमाम मतभेदों को दरकिनार कर दिया है। ये दोस्ती बिलकुल वैसे ही है जैसे साल 1993 में मुलायम सिंह यादव और कांशीराम के बीच हुई थी।