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मुन्नार टॉप हिल स्टेशन डेस्टिनेशन्स में से एक है। जो केरल के इडुक्कीम जिले में स्थित है। पहाड़ों के घुमावदार इलाकों से घिरा हुआ यह हिल स्टेशन पश्चिमी घाट पर स्थित सबसे खूबसूरत हिल स्टेशनों में से एक है। मुन्नार एक मलयालम शब्द है जिसका अर्थ होता है तीन नदियों का संगम। यहां आपको तीन नदियां मधुरपुजहा, नल्लांथन्नीत और कुंडाली एक ही स्थान पर मिलती हुई दिखाई देंगी। दक्षिण भारत के एक अन्य लोकप्रिय राज्य तमिलनाडु के नजदीक होने के कारण यहां आने के बाद आप एक साथ दो राज्यों की मिली जुली संस्कृति का आनंद ले सकते हैं। देवीकुलम: प्रकृति प्रेमियों के लिए यह एक पसंदीदा स्थल है क्योंकि वे यहां विभिन्न वनस्पतियों और जीव को देखने का लुत्फ उठाने के साथ-साथ उनका अध्ययन भी कर सकते हैं। देवीकुलम ट्रैकर्स के लिए भी पसंदीदा जगह है और बागानों तथा लाल गोंद के पेड़ों के बीच आपको बहुत मजा आएगा। मट्टुपेट्टी: मट्टुपेट्टी मुन्नार से 13 किलोमीटर दूर सुर समुन्द्र तल से 1700 मीटर ऊपर मट्टुपेट्टी यहां स्थित एक और खूबसूरत स्थल है। आप यहां प्राकृतिक नजारों का आनंद ले सकते हैं। इको पॉइंट: इको पॉइंट मुन्नार से 15 किलोमीटर की दूरी पार्ट स्थित है। यहां आप चिल्लाएंगे, तो आपको अपनी आवाज खुद को सुनाई देगी। ये जगह बेहद खूबसूरत है जो किसी का भी मन मोह सकती है। एडवेंचर स्पोर्ट्स के लिए खास: आप चाहें तो यहां ट्रैकिंग का मजा ले सकते हैं। कई जगहों पर पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं। कैसे पहुंचे: मुन्नार पहुंचने के लिए आप हवाई मार्ग, रेल मार्ग या सड़क मार्ग तीनों का इस्तेमाल कर सकते हैं। कोच्चि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मुन्नार के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। नजदीकी रेलवे स्टेशन तमिलनाडु का थेनी है जो मुन्नार से 60 किलोमीटर की दूरी पर है। कब जाएं: अक्टूबर से मई।
15 Apr, 2018
आगे पढ़ऐअगर आपको बाइकिंग का शौक है, तो आपका सफर और भी दिलचस्प बन सकता है। इसके लिए आपको अपनी बाइक की टंकी फुल करवानी है और बैग पैक लेकर निकल जाना है, खूबसूरत सफर पर। कई ऐसी खूबसूरत जगह हैं, तो बाइकिंग ट्रिप के लिए मशहूर है। अगर आप अपने पार्टनर के साथ रोमांटिक ट्रिप पर निकलना चाहते हैं, तो बाइकिंग ट्रिप का मजा ले सकते हैं। आइए, जानते हैं कहां की करें बाइकिंग ट्रिप। दिल्ली से लेह: दिल्ली से लेह के बीच मोटरबाइकिंग ट्रिप को पूरा करने में करीब 15 दिन का वक्त लगता है। रूट की बात करें तो पहले दिल्ली से चंडीगढ़, फिर चंडीगढ़ से मनाली और फिर मनाली से लेह जाने में पहाड़ों की असली चढ़ाई शुरू होती है। रास्ते में आने वाले प्राकृतिक दृश्य किसी का भी मन मोह लेंगे। रास्ते में कई खतरनाक सड़के भी आती हैं, जहां बाइक चलाना किसी संघर्ष से कम नहीं। शिमला से स्पीति वैली: मोटरबाइक से अगर आप शिमला से स्पीति घाटी के बीच का सफर तय करें तो आप हिमाचल प्रदेश के सबसे खूबसूरत और मनोरम दृश्यों में से एक की सैर कर पाएंगे। एक तरफ जहां शिमला में हरे-भरे और बर्फ से ढके पहाड़ हैं वहीं स्पीति की तरफ आगे बढ़ते हुए लैंडस्केप बदल जाता है। बर्फ से ढके पहाड़, झरने, पहाड़ों के बीच का संकुचित रास्ता और थोड़ी बहुत हरियाली के साथ भेड़ों का झुंड भी देखने को मिलता है। बेंगलुरू से कन्नूर: अगर आप बेंगलुरु में रहते हैं और बाइक चलाने के शौकीन हैं तो आपको इस रोड ट्रिप पर जरूर जाना चाहिए। एक तरफ है शहरी इलाका बैंगलुरु तो वहीं दूसरी तरफ प्राकृतिक हरियाली को खुद में समेटे हुए केरल का खूबसूरत शहर कन्नूर। रास्ते में कई खूबसूरत झील और झरने भी हैं। भलुकपोंग से तवांग: अगर आप भारत के नॉर्थ ईस्ट राज्यों की खूबसूरती को करीब से महसूस करना चाहते हैं, तो अरुणाचल प्रदेश स्थित भलुकपोंग से तवांग के बीच मोटरबाइक राइड का प्लान बनाएं। वैसे तो इस रोड ट्रिप के दौरान आपको इलाके की खूबसूरत वनस्पतियों के साथ ही पेड़-पौधे और एक से एक खूबसूरत चिड़िया दिखेगी लेकिन यह रास्ता कई मायनों में बेहद चुनौतीपूर्ण भी है।
15 Apr, 2018
आगे पढ़ऐक्या आपने सफर शुरू करने से पहले रेलवे स्टेशन पर एक नजर दौड़ाई है, अगर नहीं, तो अगली बार जब भी इन 5 रेलवे स्टेशन से गुजरें, तो जरूर नोटिस करें। आज हम आपको ऐसे रेलवे स्टेशन के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर सबसे ज्यादा प्लेटफॉर्म हैं। हावड़ा: हुगली नदी के पश्चिमी तट के पास बना यह हावड़ा रेलवे स्टेशन कोलकाता शहर की सेवा में स्थित चार रेलवे स्टेशनो में से एक है। हावड़ा स्टेशन में कुल 23 प्लेटफॉर्म बने हुए है जिसके साथ इस स्टेशन में 26 पटरियों की रेलवे लाइन बिछी हुई है, जो इसको कोलकाता के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक बनती है, कोलकाता का यह रेलवे स्टेशन टर्मिनल-1 और टर्मिनल-2 के नाम से जाना जाता है। सियालदह: सियालदह रेलवे स्टेशन भारत में कोलकाता से भेंट करने वाले प्रमुख रेलवे स्टेशनों में से एक है, इसके अलावा कोलकाता में अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन भी है। जैसे हावड़ा स्टेशन, शालीमार स्टेशन, संतरागचि जंक्शन और कोलकाता रेलवे स्टेशन हैं। सियालदह भारत के सबसे व्यस्त और बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह रेलवे स्टेशन 20 प्लेटफार्मों के साथ कोलकाता शहर में एक महत्वपूर्ण उपनगरीय रेल टर्मिनल है। सियालडाह के उत्तर टर्मिनलों में 13 प्लेटफार्म हैं और दक्षिण खंड में 7 प्लेटफार्म हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस: इसे पहले विक्टोरिया टर्मिनस भी कहा जाता था। यह भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई का एक ऐतिहासिक रेलवे-स्टेशन है, जो मध्य रेलवे, भारत का मुख्यालय भी है। यह भारत के सबसे बिजी स्टेशनों में से एक है। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस में 18 प्लेटफार्म बने हुए हैं, जिसमें से 11 प्लेटफार्म लंबी दूरी की आउट-स्टेशन ट्रेनों के लिए हैं। वही 7 प्लेटफॉर्म स्थानीय उपनगरीय ट्रेनों के लिए हैं। छत्रपति शिवाजी टर्मिनस मुंबई में सबसे बड़ी ट्रेन टर्मिनस है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन: नई दिल्ली शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है। यह दिल्ली मेट्रो रेल की येलो लाइन शाखा का एक स्टेशन भी है। यह अजमेरी गेट की तरफ है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन 16 प्लेटफार्मों से दैनिक आधार पर 350 से अधिक ट्रेनों का संचालन करता है। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भारत के सबसे व्यस्त और सबसे बड़ा रेलवे स्टेशनो में से एक है। इसके साथ साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन में दुनिया का सबसे बड़ा मार्ग इंटरलॉकिंग सिस्टम लगा हुआ है। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन: चेन्नई शहर का मुख्य रेलवे स्टेशन है। यह दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण रेलवे केंद्रों में से एक है और चेन्नई उपनगरीय रेलवे का एक मुख्य केंद्र भी है। चेन्नई स्टेशन के पास 15 रेलवे प्लेटफार्म हैं।
15 Apr, 2018
आगे पढ़ऐआप ऑफिस का काम करके बोर हो चुके हो। ऐसे में आपका मन भी करता होगा कि काम से थोड़ा ब्रेक लेकर कहीं घूम-फिर आएं लेकिन अप्रैजल के टाइम पर छुट्टी मिलना आसान नहीं है। अगर आपको भी ऑफिस में छुट्टी नहीं मिल पा रही है, तो हम आपको ट्रिप के लिए ऐसी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप वीकेंड में मजेदार ट्रिप पर जा सकते हैं। अगर आप दिल्ली या इसके आसपास रहते हैं, तो यहां घूम सकते हैं। ड्रीम आइलैंड रिसॉर्ट, दमदमा लेक हरियाली को पसंद करने वाले लोगों को ये जगह बहुत ही पसंद आएगी। आप यहां खूबसूरत झील, हरियाली का मजा ले सकते हैं। आपको यहां प्राकृतिक सौंर्दय देखने में बहुत मजा आएगा। गोल्डन क्रीपर्स फार्म रिट्रीट, गुडगांव इन जगहों पर घूमने के लिए न टिकट का झंझट न छुट्टी लेने का, वन डे बाइक ट्रिप पर निकल जाएं दोस्तों के साथ। सुल्तानपुर बर्ड सेंचुरी सुल्तानपुर बर्ड सेंचुरी के पास आप इस जगह का मजा ले सकते हैं। आपको यहां भारत के गांव की झलक मिलेगी। आप यहां गर्मा-गर्म जलेबी दूध और दही के साथ ट्राई कर सकते हैं। प्रतापगढ़ फार्महाउस, झज्जर मक्के की रोटी सरसों का साग और लस्सी। आपको हरियाणा का कल्चर यहां देखने का मौका मिलेगा। आप यहां पर ऊंट की सवारी, कबड्डी और कई देशी खेलों का मजा ले सकते हैं। लोहागढ़ फार्म, सोहना रोड़ आप यहां अपनी फैमिली या दोस्तों के साथ पूरे दिन मस्ती कर सकते हैं। आप यहां पर खूबसूरत पेटिंग, नक्काशी, ऊंट की सवारी का मजा ले सकते हैं। द प्रोडिकल कुक फार्म, नोएडा आप तरह-तरह के जायकों का आनंद लेना चाहते हैं, तो यहां आ सकते हैं। आपको यहां देशी-विदेशी दोनों तरह के व्यजंन मिलेंगे। साथ ही कई तरह के प्रोग्राम का आनंद भी आप ले सकते हैं।
15 Apr, 2018
आगे पढ़ऐताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में से एक माना जाता है। ताजमहल की खूबसूरती देखने के लिए दुनिया भर से लोग खींचे चले आते हैं। ताजमहल की धरोहर को संजोए रखने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार ताजमहल देखने के लिए किसी भी आम दिन में करीब 70,000 लोग आते हैं। बदल गए हैं ये नियम नए के मुताबिक अब केवल 40,000 लोग ही रोजाना ताजमहल को देख सकेंगे। इसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन टिकट उपलब्ध है। 40,000 का कोटा पूरा होने पर उस दिन की टिकट नहीं मिल पाएगी। 15 साल से कम उम्र वाले पर्यटकों को ‘जीरो वैल्यू’ टिकट लेनी होगी। जिसका कोई चार्ज नहीं होगा लेकिन 40,000 लोगों की कैपासिटी में उन लोगों को काउंट किया जाएगा। 3 घंटे से ज्यादा कोई भी व्यक्ति अब यहां नहीं रूक सकेगा। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए ये फैसला लिया गया है। अब आप ताज परिसर में सिर्फ 3 घंटे तक ही ताज का दीदार कर सकेंगे। कैसे पहुंचे: आप आगरा बस या ट्रेन से पहुंच सकते हैं। आगरा सभी महानगरों से जुड़ा हुआ है। आप यहां अपने वाहन से भी आ सकते हैं।
15 Apr, 2018
आगे पढ़ऐरेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए नया कदम उठाया है। रेलवे ने इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान) के साथ समझौता किया है। इसरो की सैटेलाइट रेलवे की सम्पत्तियों की निगरानी करेगी। रेलवे ने अपनी सम्पत्ति और जमीन की सुरक्षा के लिए इसरो के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर लिए हैं और इसे अमलीजामा पहनाने के लिए रेलवे ने सभी मंडलों को सभी संपत्तियों का डाटा संकलन करने के दिशा-निर्देश दिए हैं। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, प्रत्येक मंडल में एक कंट्रोल रूम भी स्थापित किया जाएगा, जहां रेलवे के अधिकारी सभी संपत्तियों की जानकारी मुख्य कंट्रोल रूम को देंगे। इसके जरिए इसरो के पास पूरी जानकारी भेजी जाएगी, जहां चिह्नित स्थानों को सैटेलाइट में फीड किया जायेगा। इसके साथ ही, कहा यह भी जा रहा है कि रेलवे की सभी संपत्तियों का खाका तैयार किए जाने के बाद जीआईएस पोर्टल विकसित किया जाएगा। यह पूरी तरह से जीपीएस प्रणाली पर आधारित होगा। इसका कार्य जोरशोर से चल रहा है, फिलहाल, प्रगति के लिहाज से कार्य इस साल के दिसंबर तक पूरा होने की संभावना है। बताई गई मैपिंग के हिसाब से सैटेलाइट में चिह्नित स्थान अपलोड होगा, जिससे 24 घंटे उन पर नजर रखी जा सकेगी। इसमें रेलवे स्टेशन भी शामिल हैं। इसके अलावा, इसके जरिए रेलवे ट्रैकों पर भी नजर रखी जा सकेगी ताकि ट्रैक और सिग्नल उपकरणों की खामी को पकड़ा जा सके। ट्रैकों के काम भी ऑनलाइन दिखेंगे।
15 Apr, 2018
आगे पढ़ऐयह बात किसी से छुपी नही है कि हिन्दू धर्म विश्व का एकमात्र धर्म है, जो सबसे प्राचीन है। यह धर्म 12 हजार वर्ष से भी पुराना है। हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा और ध्यान पर विशेष जोर दिया जाता है। इस बात के कई सबूत पेश किये जाते हैं कि विश्व के कई देशों में पहले सनातन धर्म ही था। अंकोरवाट मंदिर विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है और यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है जो कम्बोडिया देश के अंकोर में है जो सिमरिप शहर में मीकांग नदी के किनारे बसा हुआ है तथा इसका फैलाव सैकड़ों वर्ग मील में है। यह हिन्दू देवता विष्णु का मंदिर है जबकि इसके पूर्ववर्ती शासको ने यहाँ बड़े-बड़े शिव के मंदिरों का निर्माण करवाया था। इसका पुराना नाम यशोधपुर था व इस मंदिर का निर्माण राजा सूर्यवर्मन द्वितीय के शासन काल 1112 से 1153 ईस्वी के दौरान बनवाया गया था। इस मंदिर के चित्र को कम्बोडिया के राष्ट्रीय ध्वज में छापा गया है। यह दुनिया के सबसे प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में से एक है। इसको यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जो हिन्दुओं के आराध्य देव हैं। इंडोनेशिया के निवासी इसे पानी में डुबा हुआ मंदिर का बगीचा कहते हैं। परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस देश में विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है जहाँ 100 फीसदी लोग हिन्दू धर्म को मानते थे तो आज वहां से हिन्दू कहाँ गायब हो गये है? कम्बोडिया देश जहाँ विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर तो है लेकिन वहां कोई हिन्दू लोग क्यों नहीं है? इतिहास के अनुसार लिखा गया है कि लोगों ने दूसरे धर्मों को अपना लिया है। आज इस देश में गिनती के ही हिन्दू बचे हुए हैं लेकिन विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर यही है। कंबोडिया दक्षिण पूर्व एशिया का प्रमुख देश है, जिसकी जनसंख्या करीब 1.5 करोड़ है। पुर्वी एशिया में पहले भी 5 हजार से लेकर 1 हजार वर्ष तक के पुराने मंदिरों की खोज की जा चुकी है, जिससे भारत की प्राचीन वैभवशाली संस्कृति की झलक मिलती रही है। इन मंदिरों में अधिकतर मंदिर भगवान विष्णु के हैं। वैज्ञानिकों ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि कई हजार साल में समुद्र का जलस्तर करीब 500 मीटर बढ़ा है। इससे साबित होता है कि राम-सेतु, द्वारका नगरी सरीखे स्थान आज भी मौजूद हैं और इनसे जुड़े पात्र भी सच हैं।
11 Apr, 2018
आगे पढ़ऐदुनिया में कुछ मंदिर ऐसे हैं जिनकी बनावट देख आंखों को यकीन नहीं होता क्योंकि इनमें कोई खालिस सोने का तो कोई संगमरमर का बना है। कोटकोकू टेंपल: जापान में स्थित कोटकोकू टेंपल मंदिर यहां स्थापित बुद्ध की विशाल प्रतिमा के लिए जाना जाता है। इस संरचना का वजन करीब 93 टन है। इतना ही नहीं इसकी लंबाई करीब 43.8 फुट है। एक बार में बड़ी संख्या में भक्त करीब से दर्शन कर लते हैं। यह जापान के विश्व प्रसिद्ध प्रतीकों में से एक है। बैंचमबोफिट टेंपल: वाट बैंचमबोफिट मंदिर देखने में बेहद खूबसूरत है। बैंकॉक का यह मंदिर पूरी दुनिया में मशहूर है। इसे मारबल टेंपल भी कहा जाता है। इतावली संगमरमर से निर्मित यह एक बौद्ध मंदिर है। यहां पर बड़ी संख्या में पयर्टक आते हैं। इस मंदिर को देखने के बाद कुछ पलों के लिए पलके झपकाने का मन नहीं होता है। लोटस टेंपल: लोटस टेंपल भारत की राजधानी दिल्ली। में बना है। यह लोटस टेंपल यानी कि कमल मंदिर बड़ी संख्या में पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। कमल के फूल के आकार में बना होने की वजह से इसे कमल मंदिर कहा जाता है। यह भी देखेने में बेहद खूबसूरत है। गोल्डेन टेंपल: भारत का गोल्डेन टेंपल यानी कि स्वर्ण मंदिर भी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहां पर भी बड़ी संख्या में लोग इसकी खूबसूरती निहारने आते हैं। इसकी सबसे खास बात यह है कि यह सोने का बना है। यहां आने वाले विजिटर्स सूर्य से चमकते इस मंदिर को देख हैरान होते हैं। नौवोयो इलिनोइस टेंपल: यह नौवोयो इलिनोइस टेंपल भी बेहद खूबसूरत है। यह चर्च के जीसस क्राइस्टल के बाद संतों द्वारा बनवाया गया दूसरा मंदिर था। इस मंदिर का निर्माण चूना पत्थरों के ब्लॉक के जरिए बेहद शानदार ढंग से किया गया था। यह मंदिर करीब 130 फुट लंबा, 162 फुट ऊंचा और 90 फुट चौड़ा है। हैवेन टेंपल: यह हैवेन टेंपल यानी कि स्वर्ग मंदिर बीजिंग में स्थित है। यह मंदिर 14वीं शताब्दी में निर्मित माना जाता है। हैवेन टेंपल की खूबसूरती देखने के लिए दुनियाभर से बड़ी संख्यां में पयर्टक आते हैं। इस मंदिर को लेकर भक्तों के बीच मान्यता है कि स्वर्ग के बीच का प्रतीक है। सेंट सावा टेंपल: बेलग्रेड में बने सेंट सावा टेंपल को देखकर भी आंखे हैरान होती हैं। यह मंदिर भी काफी खूबसूरत है। इसे चर्च भी कहा जाता है। बेलग्रेड की प्रमुख स्थ लों में से एक सेंट सावा चर्च दुनिया में सबसे बड़ा रूढ़िवादी चर्च कहा जाता है। आज दुनिया के कई हिस्सों में सेंट सावा के चर्च बन चुके हैं। वाट रोंग खुन टेंपल: थाईलैंड के वाट रोंग खुन टेंपल को व्हाइट मंदिर भी कहा जाता है। विजिटर्स के लिए यह 1997 में खोला गया। इसे डिजाइन करने वाले और बनाने वाले चार्ल्माचै कोस्तिपित ही इसके मालिक है। मंदिर तक जाने के लिए एक पुल पार करना होता है। यह पुल खुशी और पुनर्जन्म के चक्र का प्रतिनिधत्वे करता है। मंकी टेंपल: यह मंकी टेंपल यानी कि बंदर मंदिर नेपाल में बना हैं। इसे स्वयंभूनाथ के रूप में भी जाना जाता है। यहां पर मंदिर के उत्तर-पश्चिम भाग में बहुतायत बंदर पाए जाते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि इस मंदिर के गुबंद में जानवरों को विशेष स्थान दिया गया है। गारनी टेंपल: अर्मेनिया का गारनी टेंपल त्रिकोणीय चट्टान के किनारे पर स्थित है। यह बनावट में दूसरे मंदिरों से काफी अलग है। इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया जा चुका है। गार्नी टेंपल को देखने पर शास्त्रीय प्राचीन यूनानी वास्तुकला की शैली को करीब से देखने का मौका मिलता है।
11 Apr, 2018
आगे पढ़ऐदेवी कामाक्षी के नेत्र इतने कमनीय या सुंदर हैं कि उन्हें कामाक्षी संज्ञा दी गई। कामाक्षी के तीन नेत्र त्रिदेवों के प्रतिरूप हैं। सूर्य-चंद्र उनके प्रधान नेत्र हैं, अग्नि उनके भाल पर चिन्मय ज्योति से प्रज्ज्वलित तृतीय नेत्र है। कामाक्षी में एक और सामंजस्य है 'का' सरस्वती का। 'मां' महालक्ष्मी का द्योतक है। यह मंदिर शंकराचार्य द्वारा निर्मित है। यहां मां कामाक्षी के बीजाक्षरों का यांत्रिक महत्त्व बताया गया है। जैसे 'क' कार ब्रह्मा का, 'अ' कार विष्णु का, 'म' कार महेश्वर का वाचक है। मां कामाक्षी देवी मंदिर जिसे हम कांची शक्तिपीठ भी कहते हैं, भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक है। पुराणों के अनुसार जहां-जहां सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ बनाए गए। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप पर फैले हुए हैं। देवीपुराण में 51 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है। यह शक्तिपीठ तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम नगर में स्थित है। यहां देवी की अस्थियां या कंकाल गिरा था। जहां पर मां कामाक्षी देवी का भव्य विशाल मंदिर है, जिसमें त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमूर्ति कामाक्षी देवी की प्रतिमा है। यह दक्षिण भारत का सर्वप्रधान शक्तिपीठ है। ऐकाम्रेश्वर शिवमंदिर से लगभग चौथाई किलोमीटर की दूरी पर है मां कामाक्षी देवी का भव्य मंदिर। इसमें भगवती पार्वती का श्रीविग्रह है, जिसको कामाक्षीदेवी अथवा कामकोटि भी कहते हैं। भारत के द्वादश प्रधान देवी-विग्रहों में से यह मंदिर एक है। इस मंदिर के पार्श्व में अन्नपूर्णा देवी और शारदादेवी मंदिर हैं। यह दक्षिण भारत का सर्वप्रधान शक्तिपीठ है। काँची के तीन भाग हैं- 1. शिवकाँची 2. विष्णुकाँची 3. जैनकाँची ये तीनों अलग नहीं हैं। शिवकाँची नगर का बड़ा भाग है, जो स्टेशन से लगभग-2 किलोमीटर है। मान्यताएँ कामाक्षी देवी को 'कामकोटि' भी कहा जाता है तथा मान्यता है कि यह मंदिर शंकराचार्य द्वारा निर्मित है। देवी कामाक्षी के नेत्र इतने कमनीय या सुंदर हैं कि उन्हें कामाक्षी संज्ञा दी गई। वस्तुतः कामाक्षी में मात्र कमनीय या काम्यता ही नहीं, वरन कुछ बीजाक्षरों का यांत्रिक महत्त्व भी है। 'क' कार ब्रह्मा का, 'अ' कार विष्णु का, 'म' कार महेश्वर का वाचक है। इसीलिए कामाक्षी के तीन नेत्र त्रिदेवों के प्रतिरूप हैं। सूर्य-चंद्र उनके प्रधान नेत्र हैं, अग्नि उनके भाल पर चिन्मय ज्योति से प्रज्ज्वलित तृतीय नेत्र है। कामाक्षी में एक और सामंजस्य है 'का' सरस्वती का। 'माँ' महालक्ष्मी का द्योतक है। इस प्रकार कामाक्षी के नाम में सरस्वती तथा लक्ष्मी का युगल-भाव समाहित है। शंकराचार्य ने- सुधा सिन्धोर्मध्ये सुर विरटिवाटी परिवृत्तं मणिद्वीपे नीपोपपवनवति चिंतामणि गृहे। शिवाकारे मंचे पर्यंक निलयां भजंति त्वां धन्याः कतिचन चिदानंद लहराम्॥ कहते हुए उन्हें सुधा सागर के बीच पारिजात वन में मणिद्वीप वासिनी शिवाकार शैय्या पर परम शिव के साथ परमानंद की अनुभूति करने वाली कहा है। कामाक्षी देवी त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमूर्ति हैं। एकाम्रेश्वर मंदिर के गर्भगृह में कामाक्षी की सुंदर प्रतिमा है। परिसर में ही अन्नपूर्णा तथा शारदा के भी मंदिर हैं। एक स्थान पर शंकराचार्य की भी मूर्ति है। मंदिर के द्वार पर कामकोटि यंत्र में 'आद्यालक्ष्मी', 'विशालाक्षी', 'संतानलक्ष्मी', 'सौभाग्यलक्ष्मी', 'धनलक्ष्मी', 'वीर्यलक्ष्मी', 'विजयलक्ष्मी', 'धान्यलक्ष्मी' का न्यास किया गया है तथा परिसर में एक सरोवर है। मंदिर के द्वार पर श्री रूपलक्ष्मी सहित चोर महाविष्णु तथा मंदिर के अधिदेवता श्री महाशास्ता के विग्रह हैं, जिनकी संख्या 100 के लगभग है। मंदिर का मुख्य विमान स्वर्णपत्रों से जड़ा हुआ है। दर्शनीय स्थल वामन मंदिरः कामाक्षी देवी के भव्य मंदिर के पूर्व-दक्षिण की ओर यह मंदिर है जिसमें भगवान वामन की लगभग पांच मीटर ऊंची मूर्ति है। भगवान का एक चरण ऊपर उठा हुआ है। एवं दूसरे चरण के नीचे राज बलि का मस्तक है। मंदिर के पुजारी एक बांस में बहुत मोटी बत्ती (मशाल) जलाकर भगवान के श्रीमुख का दर्शन कराते हैं। इसी के निकट सुब्रह्मण्य मंदिर है। जिसमें स्वामिकार्तिक की बड़ी भव्य मूर्ति प्रतिष्ठित है। कैलाशनाथ मंदिरः बस स्टैंड से लगभग दो किलोमीटर एवं एकाम्रेश्वर शिवमंदिर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर यह प्रचीन शिवमंदिर है। जो बस्ती के अंतिम छोर पर स्थित है। इस मंदिर का शिवलिंग अति सुंदर एवं प्रभावोत्पादक है। चारों ओर की भित्तियां पर नाना प्रकार की मूर्तियां उत्कीर्ण हैं, जिनकी शिल्पकला देखने योग्य है। श्री वैकुंठपेरुमलः यह मंदिर बस स्टैंड से एक किलोमीटर की दूरी पर एवं बस्ती के मध्य में स्थित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु का श्री विग्रह है। मंदिर की शिल्पकला उत्तम है। परिक्रमा मार्ग की भित्तियों पर विविध प्रकार की कलात्मक मूर्तियां उत्कीर्ण हैं जिनमें श्रंगार, युद्ध और नृत्य गान की मूर्तियां विशेष आकर्षण हैं।
11 Apr, 2018
आगे पढ़ऐखजराना मंदिर इन्दौर का प्रसिद्ध गणेश मंदिर है। यह मंदिर विजय नगर से कुछ दूरी पर खजराना चौक के पास में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। मंदिर में भगवान गणपति की मुख्य मूर्ति केवल सिन्दूर द्वारा निर्मित है। इस मंदिर में गणेश जी के अतिरिक्त माता दुर्गा जी, महाकालेश्वर की भूमिगत शिवलिंग, गंगा जी की मगरमच्छ पर जलधारा मूर्ति, लक्ष्मी जी का मंदिर, साथ ही हनुमान जी के भी मंदिर है। गणेश जी के अतिरिक्त यहां पर शनि देव और साई नाथ का भी भव्य मंदिर विराजमान है। यही कारण है इस स्थािन पर आने वाले इतने सारे देवताओं के बीच अपने को देवलोक में भ्रमण करता हुआ अनुभव करते हैं। मंदिर की सारी व्यवस्था बहुत ही उत्तम कोटि की है। इस मंदिर में 10,000 से अधिक लोग प्रति दिन दर्शन करते है। मंदिर परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त अन्य 33 अन्यस छोटे-बड़े हैं। कलश से हुए प्रकट इस मंदिर के बारे में एक कथा काफी प्रचलित है कि सन 1735 के करीब पंडित मंगल भट्ट के स्वप्न में गणेश जी आए थे, और उन्होंने इस स्थान से प्रकट होकर जनता का उद्धार करने की बात कही थी। इसके बाद एक कलश श्री गणेश प्रकट हुए और उनका मंदिर पूर्ण विधि विधान से स्थापित किया गया। तब से यहां देश ही नहीं विदेश से भी श्रद्धालुजन अपना शीर्ष नवाने आते रहे हैं। इस मंदिर के बारे में प्रसिद्ध है कि यहां हर किसी की मुराद पूरी होती है। यहां जो भी भक्त अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिये गणेश जी के पीठ पर उल्टा स्वास्तिक बनाता है, गणपति जी उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के पश्चात पुनः सीधा स्वास्तिक बनाने भक्त यहां आते हैं। इसी तरह मुराद मन में रखकर यहां धागा बांधने की भी परंपरा है। इच्छा पूर्ण होने पर वह धागा खोल दिया जाता है।
11 Apr, 2018
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