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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्य को देवों की श्रेणी में रखा गया है। उन्हें भक्तों को प्रत्यक्ष दर्शन देने वाला भी कहा जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सूर्य का विशेष महत्व है। ज्योतिष शास्त्रों में कहा गया है कि हमें हर रोज प्रातकाल: सूर्य को जल चढाना चाहिए। हम सभी यह करते हैं। क्या हैं सूर्य को जल चढाने की वैज्ञानिक मान्यता, क्यों चढाते हैं सूर्य को जल, आखिर सूर्य को जल चढाने के क्या फायदे होते है, वो बताते है।
सूर्य को ऐसे चढाए जल: भारतीय परंपरा के अनुसार सूर्य देव को प्रात:काल नहाने के बाद जल अर्पण करना चाहिए। जल चढाने के लिए तांबे के कलश का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। साथ ही जल में लाल सिंदूर व लाल फूल डालकर भी अर्पण करना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य देव की कृपा हमेशा बनी रहती है।
क्या कहती हैं मान्यताएं: धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है। इसलिए प्रात:काल सूर्य देव के दर्शन से मन को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही ये शरीर में ताजगी भी लाता है।
भाग्य दोष होते हैं दूर: प्रत्येक सुबह सूर्य को जल चढाने से भाग्य अच्छा होता है। सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण होते है। हर कोई आपसे खुश रहता है और आपके लिए निष्ठावान रहता है। वहीं ज्योतिशास्त्र के मुताबिक सूर्य ही वह ग्रह है जो व्यक्ति को सम्मान दिलाता है। नियमित रूप से सूर्य देव को जल चढाने वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है। उसे लोगों से सहयोग मिलता है व उच्च पद पर विराजित होने का भी सम्मान मिलता है। ऐसे लोग समाज में प्रतिष्ठा हासिल करते हैं।
हर अंग पर पडता है प्रभाव: इंसान का शरीर पंच तत्वों से बना होता है। इनमें एक तत्व अग्नि भी है। सूर्य को अग्नि का कारक माना गया है। इसलिए सुबह सूर्य को जल चढाने से उसकी किरणें पूरे शरीर पडती है। जिससे हार्ट, त्वचा, आंखे, लीवर और दिमाग जैसे सभी अंग सक्रिय हो जाते हैं।
नींद न आने की समस्या को करता है दूर: रोज सुबह जल्दी उठने और रात को जल्दी सोने की प्रक्रिया से शरीर का संतुलन बना रहता है। इससे थकान, नींद न आने व सिर में दर्द जैसी समस्याओं को दूर करता है। ये दिमाग को सक्रिय बनाता है।
सूर्य पर जल चढाने का वैज्ञानिक तर्क: सुबह के समय सूर्यदेव को जल चढाते समय शरीर पर पडने वाले प्रकाश से ये रंग संतुलित हो जाते हैं। जिससे शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ जाती है। इसके आलावा सूर्य नमस्कार की योगमुद्रा होने से एकाग्रता बढती है। मेरुदंड (रीढ की हड्डी) की कई बीमारी सही होती हैं। आंखों की कई समस्या दूर होती हैं। सूर्य की रौशनी से मिलने वाला विटामिन डी शरीर में पूरा होता है। आपका मुखमंडल ओजस्वी होता है त्वचा के रोग कम होते हैं। प्राकृतिक संतुलन भी बनता है। इन्ही कारणों से हम सूर्य देव का जल चढ़ाकर अभिनंदन करते हैं, और वह हमें आशीर्वाद देते हैं।